पत्रकारिता जगत मे बड़ा नाम कमाने वाले सीनियर रिपोर्टर कमाल खान का निधन

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[ KABEER NEWS DESK ]

यूपी के सीनियर जर्नलिस्ट कमाल खान एक ऐसे रिपोर्टर थे जिनकी पत्रकारिता की तारिफ जितनी करो उतनी कम है।पर जितने वे अपने पत्रकारिता के सफर मे सफल थे उतने ही वह अपने जीवन मे भी एक सफल व्यक्ति थे। मूल रूप से कमाल खान पुराने लखनऊ निवासी थे। पर कल रात हार्ट अटैक के चलते हम सबको अलविदा कह गए। कमाल खान ने अपने बचपन से लेकर आखिरी समय तक जिंदगी के बहुत से उतार चढ़ाव देखे। कमाल खान ने बचपन मे ही अपने पिता को खो दिया था। वे अपनी मां के साथ लखनऊ मे रहते थे और वहीं उन्होने अपनी आखिरी सांस ली।

रूस जाने का था इरादा

 कमाल खान ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में एमए किया था और उसके बाद रशियन भाषा में एडवांस डिप्लोमा किया। जिसके बाद उनका इरादा था कि वे रूस जाकर आगे की पढ़ाई करे लेकिन कहते है न, होता वहीं है जो आपके भाग्य मे लिखा होता है और शायद कमाल के भाग्य मे रूस जाना नही लिखा था। लगभग पूरी तैयारी हो गयी थी कि अचानक उनकी माँ की तबियत काफी खराब हो गयी। जिसके बाद मां की बीमारी की वजह से कमाल रूस नहीं जा पाये और फिर पत्रकारिता के क्षेत्र में  चले आये।

दूसरे घर की तरह है एनडीटीवी

जिसके बाद कमाल की जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया और उनकी रुचि धीरे-धीरे पत्रकारिता में बढ़ने लगी। उन्होने वर्ष 1990 में नव भारत टाइम्स के लखनऊ कार्यालय से अपना काम शुरू किया। जिसके तीन साल बाद 1993 में यह अखबार बंद हो गया। जिसके बाद उन्होने अपने मित्र विनोद शुक्ला की मदद के चलते एक अखबार मे काम किया लेकिन कुछ दिनों बाद वहाँ से भी उन्होने रिजाइन कर दिया। फिर दिसम्बर 1994 में वे एनडीटीवी में चला आए और उसके बाद यह उनका दूसरे घर की तरह ही हो गया। तब से पिछले अट्ठारह सालों से वे एनडीटीवी में ही थे। और अपने आखिरी समय मे भी वह एनडीटीवी मे एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर तैनात थे।

दोनों परिवार ने शादी में दिया भरपूर योगदान

इसके कुछ समय बाद उन्होने अपनी दोस्त रुचि से लव मैरिज की। जिसमे दोनों परिवार के लोगों ने इस शादी में भरपूर योगदान और सहयोग दिया। उनकी शादी से उनके परिवार वाले इतने खुश थे कि उनके सुसर यानि की रुचि के पापा ने अपने हाथ से लिख कर शादी का कार्ड लैटर प्रेस से निकलवाया क्योंकि उनका कहना था कि लोग बाद में यह नहीं कहने की स्थिति में हों कि उनकी लड़की रूचि ने भाग कर शादी की है।

आदमी को अपना काम चुपचाप लो प्रोफाइल होकर करते रहना चाहिए

किसी सपने के टूटने की वजह से पत्रकारिता के क्षेत्र मे आए कमाल ने इस पत्रकारिता के क्षेत्र मे भी सफलता के झंडे गाड़ दिए। उन्हे इस क्षेत्र मे बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हे एक तो रामनाथ गोयनका अवार्ड मिला। फिर गणेश शंकर विद्यार्थी अवार्ड मिला। यह अवार्ड पहले सिर्फ प्रिंट मीडिया के लिए था। पहली बार इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए शुरू हुआ। ये दोनों पुरस्कार स्वयं राष्ट्रपति के हाथों मिले। इसके अलावा एक न्यूज़ टेलीविजन अवार्ड मिला। फिर पर्यावरण पर बेस्ट रिपोर्टिंग के लिए अवार्ड मिला। दक्षेश देशों की संस्था सार्क द्वारा सार्क कंट्री राइटर अवार्ड मिला। पुरस्कारो को लेकर कमाल खान का मानना था कि, पुरस्कार तो मिलते रहते हैं पर मैं यही मानता हूँ कि हर आदमी को अपना काम चुपचाप लो प्रोफाइल हो कर करते रहना चाहिए।

बड़ा नाम और साधारण काम

बड़ा नाम और साधारण काम कमाल टीवी पत्रकारिता का बड़ा नाम थे, बावजूद इसके वह साधारण तौर पर काम के लिए जाने जाते हैं। अपने जीवन जीने के तरिके को लेकर कमाल खान का कहना था कि मैं चुपचाप अपना काम करता हूँ। मैं मानता हूँ कि एक रोल टीवी के जरिये अदा किया, अपनी जिंदगी को अपने ढंग से जियेंगे। मैं फॅमिली मैन हूँ, बीवी बच्चों के साथ घूमना फिरना, ना मीडिया सेंटर गए, ना यहाँ वहाँ बिलावजह घुमक्कडी की। अपने काम से काम रखता हूँ। ।

साथ ही उनका कहना था कि मैं बहुत ही साधारण आदमी हूँ। मैं यह मानता हूँ कि मैं पत्रकारिता में अपना काम अपनी पूरी कोशिश भर करता हूँ और पूरी इमानदारी से करता हूँ। इसके बाद मेरी जिंदगी में बहुत कुछ है और मैं अपनी उसी दुनिया में खोया रहता हूँ। कुल मिला कर मैं मूलतः एक पारिवारिक आदमी हूँ जो अपने ड्यूटी के अलावा अपनी बीवी और बच्चों में लगा रहता है। मुझे पार्टियों में जाना, किसी के आगे-पीछे करना, बिलावजह डिनर पर जाना अच्छा नहीं लगता। इसीलिए मैं अपनी तरह की जिंदगी जीता हूँ। हाँ, यदि कोई भी रचनात्मक कार्य होता है तो मैं जरूर करने की कोशिश करता हूँ।

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