नीट पीजी काउंसलिंग मे प्रर्दशन कर रहे डाक्टरो के साथ आया विपक्ष

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[ KABEER NEWS  DESK ]

नीट पीजी काउंसलिंग को लेकर एक बार फिर विवाद उठ खड़ा हुआ है जिसके चलते काउंसलिंग की मांग पूरी न होने को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजीडेंट डॉक्टरों के द्वारा सभी स्वास्थ्य सेवाओं को बंद कर दिया गया है जिसके चलते जनता को बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है जिसको लेकर लगातार केंद्र मे बैठी मोदी सरकार और उनके प्रशासन को विपक्ष द्वारा घेरा जा रहा है और सरकार की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े कर रहे है।

सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी व पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राजधानी दिल्ली में नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी के चलते विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजीडेंट डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को लेकर खरी खोटी सुनाई। बीते दिन शाम को डॉक्टरों ने सभी स्वास्थ्य सेवाओं को बंद करने की घोषणा की जिसके बाद देर रात तक राजधानी के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं प्रभावित रहीं।

इस विवाद को लेकर सरकार को घेरते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि डॉक्टरों पर फूल बरसाना दिखावा था, हकीकत में अन्यास बरसा रहे हैं, उन्होंने आगे लिखा, केंद्र सरकार के अत्याचार के खिलाफ मैं कोरोना वॉरियर्स के साथ खड़ा हूं। उन्होंने यह बयान ऐसे समय में दिया जब पुलिस ने डॉक्टरों के खिलाफ बर्बरता पूर्व कार्रवाई कर रही है।

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा कि, कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के समय इन डॉक्टरों ने अपनों से दूर रहकर पूरे देश के लोगों का साथ दिया, अब समय है कि पूरा देश इनके साथ खड़ा हो, इन डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस बल का प्रयोग और उनकी मांगों को तरजीह न देने वाले पीएम मोदी को नींद से जगाएं। प्रियंका गांधी वा़ड्रा ने आगे कहा, डॉक्टरों को झूठा पीआर नहीं चाहिए, उन्हें सम्मान और उनका हक मिलना चाहिए।

सोमवार को सरकारी अस्पतालों के इन रेजीडेंट डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन के साथ इस साल नीट पीजी काउंसलिंग में हो रही देरी को लेकर अपने आंदोलन को हवा देते हुए मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से लेकर उच्चतम न्यायालय तक मार्च भी निकाला। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को पुलिस ने रोका और उन पर लाठियां बरसाईं। साथ ही इस दौरान पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया लेकिन बाद में उन्हें छोड़ भी दिया।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन यानी फोर्डा पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है। सरकार ने बीते साल कोरोना वायरस पर काबू करने और महामारी पर रोकथाम लगाने के लिए डॉक्टरों और स्वस्थ कर्मियों पर फूल बरसाए थे।

यह पहला विवाद नही है जिसको लेकर डॉक्टरो के द्वारा केंद्र सरकार पर हमला बोला गया हो। इससे पहली भी कभी सैलेरी, कभी नीट जैसे मुद्दो पर सरकार के खिलाफ विरोध जताया जा चुका है। पर सरकार के प्रशासन की हर बार की ये लापरवाही जनता को सड़को पर उतरने को मजबूर कर देती है।

 

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