हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और भाजपा का खेल

कबीरा विचार देश
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[सुशील मानव ]

देश की राजनीति में पिछले 10 दिनों में बहुत कुछ घटित हुआ है। बिहार के बाद भाजपा की केंद्र सरकार ने अब झारखंड पर अपनी बुरी नज़र डाली है। पिछले कई महीनों से नोटिस नोटिस खेलने के बाद 29 जनवरी को ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित आवास और झारखंड भवन में छापेमारी की। 31 जनवरी बुधवार को दोपहर एक बजे से लगातार 8 घंटे की पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन वृहस्पतिवार को पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की रिमांड पर ईडी को सौंप दिया है। कथित ज़मीन घोटाले में जिन 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें हेमंत सोरेन का भी नाम शामिल है।

हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में ही राज्यपाल से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने से पहले ही उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का नाम विधायक दल के नेता के तौर पर आगे बढ़ाया और गठबंधन के विधायकों ने उन्हें अपना नया चुन लिया। जबकि मीडिया में लगातार ऐसी ख़बरें चल रही थीं कि हेमंत सोरेन अपनी जीवन संगिनी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाएंगे। जाहिर है ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता बग़ावत कर देते और भाजपा उन्हें तोड़कर सत्ता में क़ाबिज हो जाती। जिस तरह इन्होंने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ किया। वहीं पार्टी के मुख्य धड़े का प्रमुख चेहरा यानि हेमंत सोरेन के जेल जाने से पार्टी कमज़ोर हो जाती है। इस तरह भाजपा झारखंड में भी मुख्य विपक्षी दल को खत्म कर देती। लेकिन हेमंत सोरेन ने पार्टी के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री मनोनीत करके भाजपा का खेल बिगाड़ दिया। हालांकि भाजपा खेमे ने तब भी उम्मीद नहीं छोड़ी। तमाम घटाघोप के बीच वृहस्पतिवार की सुबह चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के साथ लेकर राजभवन पहुँचे और राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन से मिलकर उन्हें 47 विधायकों का समर्थनपत्र सौंपा और सरकार बनाने का दावा पेश किया। लेकिन आरएसएस भाजपा के बैकग्राउंड से आने वाले राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया। जबकि सप्ताह भर पहले ही बिहार में सरकार के इस्तीफे के 5 घंटे के अंदर ही नीतीश कुमार को शपथ दिलवा दिया गया था क्योंकि वहां सत्ता में भाजपा की वापसी हो रही होती है। इसी बीच भाजपा नेता निशिकांत दूबे ने यह दावा करके सनसनी मचा दी कि चंपई सोरेन के पास बहुमत नहीं है। पार्टी के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी झट रांची पहुँचे और अगले दिन राज्य में भाजपा विधायकों की बैठक बुलाई गयी। ऐसे में सबके जेहन में ये सवाल उभर आया कि क्या झारखंड में भी भाजपा खेल कर सकती है। जाहिर तौर पर झामुमो खेमे के पांच विधायकों का विधायक दल की बैठक में न पहुंचने से इस आशंका को बल मिली। इसी बीच झारखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कई झामुमो विधायकों से बातचीत का दावा करते हुए कहा कि विधायक भ्रमित हैं और चंपई सरकार का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हैं। गौरतलब है कि हेमंत सोरेन जब दिल्ली से रांची वपिस लौटकर विधायक दल की बैठक की तो इंडिया गठबंधन के कई विधायक उसमें शामिल नहीं हुए थे।

बता दें कि झारखंड विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या 81 है। गांडेय विधानसभा रिक्त है क्योंकि झामुमो विधायक ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस तरह इंडिया गबंधन के दलों झामुमो के पास 29 विधायक, कांग्रेस के पास 17 विधायक, और राजद के पास क विधायक और सीपीआईएमएल के पास 1 विधायक है जिसका कुल योग 48 होता है। जबकि एनडीए गठबंधन के घटक दलों में भाजपा के पास 26 विधायक हैं। आजसू के 3, एनसीपी के 1 और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भाजपा को प्राप्त है।

दरअसल सत्ता पक्ष के पांच विधायकों को लेकर ही सारा खेल रचा गया और इसीलिए भाजपाई राज्यपाल ने 24 घंटे से ज्यादा समय तक चंपई सोरेन को सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया और जल्द फैसला लेने की बात कहकर टाल दिया। भाजपा के नेता सत्ता पक्ष के पांच विधायकों से संपर्क के दावे कर रहे थे। यदि इन पांचों को विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिला दिया जाता तो झामुमो के विधायकों की संख्या 24 हो जाती जबकि भाजपा 26 विधायकों के साथ प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी हो जाती और तब सरकार बनाने का न्यौता राज्यपाल अपनी पार्टी भाजपा को देते। एक बार ऐसी स्थिति बन जाती तो भाजपा और विधायकों को तोड़कर सरकार बना लेती।

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में जिस तरह से भाजपा ने सत्ता पाने के लिए ज़रूरी आंकड़ों को अपने पक्ष में करके दिखाया है (हालांकि वो तमाम कोशिशों के बावजूद राजस्थान में नहीं कर पाये थे) उससे झामुमो और कांग्रेस खेमें में चिंता ज़रूर बहुत बढ़ गयी। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की घटनाओं से सबक लेते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने विधायकों को कांग्रेस शासित तेलंगाना भेजने की योजना बनायी। दोपहर दो बजे एक बस रांची सर्किट हाउस में ठहरे जेएमएम विधायकों को लेने के लिए पहुंची। शाम सात बजे गठबंधन के विधायकों को हैदराबाद भेजने के लिए रांची एयरोपोर्ट पर दो चार्टर्ड विमान खड़े इंतजार करते रहे। एक विमान 33 सीटर और दूसरा 12 सीटर था। साथ ही हैदराबाद एयरपोर्ट पर दो बसें खड़ी थीं ताकि हैदराबाद एयरपोर्ट पहुंचने पर विधायकों को सीधे होटल ले जाया जाये। इस दौरान राते सवा आठ बजे चार्टर्ड विमान के अंदर बैठे झामुमो विधायकों की तस्वीर बाहर आयी। फिर रात साढ़े नौ बजे ख़बर आयी कि कोहरे की वजह से चार्टर्ड प्लेन कोहरे के चलते नहीं उड़ सकी। और विधायकों को ले जाने वाली चार्टर्ड विमान को रद्द कर दिया गया। हवाई अड्डे के निदेशकों और एयरपोर्ट प्रशासन ने बताया कि विजिबिलिटी घटकर 100 हो गयी है जबकि फ्लाइट को उड़ाने के लिए 400 मीटर की विजिबिलिटी होनी चाहिए। अतः उड़ान भरना संभव नहीं है। जिसके बाद साजिस की आशंका और गहरी हो चली। हालांकि अगले दिन 2 फरवरी की दोपहर गठबंधन के विधायक हैदराबाद के लिए रवानना हुए। शाम साढ़े चार बजे झामुमो और कांग्रेस विधायकों को लेकर बसे हैदराबाद एयरपोर्ट से लेकर एक निजी रिसॉर्ट लेकर पहुंची।

राज्यपाल ने शाम साढ़े पांच बजे का अपॉईमेंट देकर रांची भवन में झामुमो के पांच विधायकों को मिलने के लिए बुलाया। पौने छः बजे राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने विधायक दल के नेता चंपई सोरेन से मुलाकात की उस वक्त आलमगीर आलम, प्रदीप यादव, सत्यानंद भोक्ता और विनोद सिंह मौजूद रहे। लेकिन समर्थन पत्र सौंपने के 24 घंटे के बावजूद इसके राज्यपाल ने उऩ्हें सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया। राज्यपाल के रवैये पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 81 विधायकों के सदन में 41 ही बहुमत होता है। 48 विधायकों का समर्थन होने के बावजूद चंपई सोरेन जी को सरकार बनाने का न्योता न देना साफ तौर पर संविधान की अवमानना एवं जनमत को नकारना है। महामहिमों द्वारा भारतीय लोकतंत्र के ताबूत में एक एक करके कीलें ठोकी जा रही है।

तमाम संशयों के बीच दिल्ली से आका का आदेश मिलने के बाद आखिरकार देर रात 12 बजे राज्यपाल ने चंपई सोरेन को सरकार बनाने का न्योता दिया। 2 फरवरी को दोपहर 12 बजे चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया है।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रतिक्रियाएं दी है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि झारखंड में भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ रहा है। झारखंड के साहसी योद्धा हेमंत सोरेन हेमंत सोरेन भाजपा के आदिवासियों और आदिवासी क्षेत्रों की रक्षा के लिए सदैव वचनबद्ध रहे हैं और भाजपाई भ्रष्ट राजनीतिज्ञों व पूंजीपतियों के सामने इसलिए दीवार बनकर खड़े रहे जिससे झारखंड को शोषण से बचाया जा सके। इसलिए उनके साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया जा रहा है। ये झारखंड के जनमत का अपमान है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि ईडी, सीबीआई, आईटी आदि अब सरकारी एजेंसियां नहीं रहीं, अब यह भाजपा की विपक्ष मिटाओ सेल बन चुकी है। खुद भ्रष्टाचार में डूबी भाजपा सत्ता की हनक में लोकतंत्र को तबाह करने का अभियान चला रही है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है।

राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की तानाशाही सरकार झारखंड की लोकप्रिय सरकार के जनप्रिय आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रताड़ित कर रही है। भाजपा के यह घिनौने हथकंडे अल्प समय के लिए परेशान कर सकते हैं। पर पिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और हाशियों पर रहने वाले समूहों के संकल्प और महत्वाकांक्षाओं को पराजित नहीं कर सकते। भाजपा का डर जगजाहिर है और जनता भी यह बात समझ चुकी है।

तमिलनाड़ू के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाते हुए कहा कि आदिवासी नेता को परेशान करने के लिए जांच एजेसियों का इस्तेमाल करना एक निचला स्तर है। इस कृत्य से हताशा और सत्ता के दुरुपयोग की बू आती है। बीजेपी की गंदी रणनीति विपक्षी आवाजों को चुप नहीं करा सकती है। बीजेपी की बदले की राजनीति के बावजूद हेमंत सोरेन ने झुकने से इन्कार कर दिया है और मजबूती से खड़े हुए है। विपरीत परिस्थितियों में उनका लचीलापन सराहनीय है। भाजपा की धमकाने वाली रणनीति के ख़िलाफ़ लड़ने का उनका दृढ़ संकल्प एक प्रेरणा है।

तृणमूल कांग्रेस चीफ और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को सलाखों के पीछ डाल रही है। ध्यान रखें की चुनाव जीतने के लिए सभी को जेल भेजा जा रहा है।

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