अब इस समय यूपी की सियासत मे चल रही आंधी इतने जोरो पर है कि सारे योगी के नेताओं को उड़ाकर सपा के महकमे मे डाल रही है जिसको लेकर भाजपाईयो की नींद उड़ी हुई है तो वही सपाईयों के यहां ढ़ोल नगाड़े बज रहे है क्योंकि भाजपा की योगी सरकार में श्रम मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य अपने समर्थक विधायकों के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। अपने समर्थको के साथ स्वामी प्रसाद ने सपा की सदस्यता ली जिसमे भाजपा के करीब 300 नेताओं ने सपा की सदस्यता ली।
सपा मे शामिल होने वाले मंत्रियों मे स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, पूर्व मंत्री विधायक भगवती सागर, विनय शाक्य, रोशन लाल वर्मा, डॉ मुकेश वर्मा, बृजेश कुमार प्रजापति, चौधरी अमर सिंह अपना दल से पूर्व विधायक, अली युसुफ पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक नीरज, बलराम सैनी पूर्व विधायक, राजेंद्र सिंह पटेल, धनपत राम पूर्व मंत्री, पद्म सिंह, अयोध्या पाल पूर्व विधायक, बंशी लाल, राम अवतार, आरके मौर्य आदि है।
इस कार्यक्रम मे सपा मे शामिल होने को लेकर खुशी जाहिर करते हुए औऱ बीजेपी पर हमला बोलते हुए तीखे स्वर मे स्वामी प्रसाद मोर्य ने कहा कि समाजवाद और आंबेडकरवाद को बचाना पहला कर्तव्य है। भाजपा को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है। मकर संक्रांति भाजपा के अंत का इतिहास लिखने जा रहा है। भाजपा के तमाम नेताओं ने संपर्क किया। वे पहले विधायकों की बात नहीं सुनते थे, इस इस्तीफे के बाद अब उनकी नींद उड़ी है। वे हिन्दू का हमदर्द बनते हैं लेकिन किया क्या। वे अजगर की तरह आरक्षण निगल रहे हैं। शिक्षकों की भर्ती में क्या किया। अनुसूचित और जनजाति हिन्दू नहीं है क्या। पिछड़े वर्ग के लोग हिन्दू हैं तो फिर क्यों निगल गए।
साथ ही स्वामी ने कहा कि कैबिनेट में चिकित्सा शिक्षा विभाग का प्रस्ताव आया, चूंकि अनुसूचित के उम्मीदवार नहीं है इसलिए इसे सामान्य से भर दिया जाए। इसका विरोध किया। बिना आवेदन के भरना चाहते थे। इस तरह से हक मरा जा रहा है। सीएम की कुर्सी पर बैठकर पाप करना कहां का हिंदुत्व है। एससी-एसटी ओबीसी हिंदू नहीं है तो उनका जाना तय है। बंटवारे की लाइन उन्होंने खींची है। स्वामी प्रसाद ने कहा कि अब यह समाजवाद के साथ लोहियावाद का भी जमावड़ा हुआ है।
उन्होने कहा कि लखीमपुर की घटना, गोरखपुर की घटना कोई भूला नहीं है। गोरखपुर में गुंडा राज है। वहां एक-एक करके सात हत्या हुई। वहां योगी की जाति का थानेदार था। गगहा थाने का मामला है। दो मौर्य, दो ब्राह्मण और दो वैश्य थे, एक अज्ञात महिला थी। मेरे चेतावनी देने के बाद थानेदार हटाया गया। भाजपा ने धोखा दिया है। उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। 14 जनवरी का संकल्प पूरा होगा। स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी नहीं बनाई है। फिर भी पार्टी से हैसियत काम नहीं रखते है। अखिलेश से हाथ इसलिए मिलाया क्योंकि वे नौजवान है और प्रगतिशील विचार रखते हैं। उनके साथ मिलकर क्रांति करेंगे। जिसका साथ छोड़ता हूं तबाह हो जाता है। मायावती उदाहरण है।
जिसके बाद धर्म सिंह सैनी ने कहा कि सपा में आने की कई वजह है। फिर से यूपी में समाजवाद कायम करना है। मकर संक्रांति के दिन शपथ लेते हैं कि बाबा साहब के संविधान को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। अखिलेश को सीएम बनाकर संविधान सुरक्षित करना है। पिछले 5 सालों में पिछड़ों, दलितों का राजनीतिक, आर्थिक, रोजगार और आरक्षण के क्षेत्र में पूरी तरह से शोषण हुआ। इसे देखते हुए हम पिछड़े, दलित वर्ग के लोग मकर संक्रांति के समय समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं। इसके साथ ही और भी कई दलो के नेताओं ने सपा की सदस्यता ग्रहण की।
भाजपा नेताओं के साथ आने के बाद अब सपा बाकी विरोधी पार्टियों से भी उनके समर्थन मे प्रचार करने की बात कह रही है जिसके लिए उसने कई नेताओं को यूपी आने का निमंत्रण भेजा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार भी उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करेंगे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी को गठबंधन में शामिल करते हुए बुलंदशहर की अनूपशहर विधानसभा क्षेत्र से केके शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया है और शुक्रवार को उन्होंने फोन कर उत्तरप्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए निमंत्रण दिया है साथ ही टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी भी उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करेंगी, उन्हें भी सपा की ओर से न्यौता भेजा गया है।