कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद जहां किसानो का विवाद थम गया है तो वहीं दूसरी तरफ एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है जिसकी आशंका पहले ही लगाई जा रही थी। ये विवाद नई पेंशन योजना से जुड़ा है जिसको हटाने की मांग एक बार फिर उठ खड़ी हुई है जो सरकार के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर सकती है।
कर्मचारियों-शिक्षकों ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए की शंखनाद रैली
इस मांग के चलते रविवार को ऑल टीचर्स इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेशभर से जुटे कर्मचारियों-शिक्षकों ने ईको गार्डन में पुरानी पेंशन बहाली के लिए शंखनाद रैली की। इस रैली मे जनता का संबोधन करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि जिस तरह सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया है, उसी तरह नई पेंशन योजना को भी वापस लेकर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए साथ ही उन्होने निजीकरण को भी रोकने की बात कही।
निजीकरण से युवाओं का भविष्य हो रहा खराब : विजय बंधु
इसके साथ ही अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय बंधु ने कहा कि नई पेंशन योजना से शिक्षकों-कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। इसलिए सरकार को पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी चाहिए। निजीकरण को लेकर उन्होने भी विरोध जताते हुए कहा कि निजीकरण से युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है।
पीडब्लूडी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की, महामंत्री रामराज दुबे ने कहा कि निजीकरण की व्यवस्था से युवाओं का भविष्य चौपट हो रहा है। इसके साथ ही फ्रंट अगेंस्ट न्यू पेंशन स्कीम इन रेलवे के राजेंद्र पाल ने भी रेलवे के निजीकरण का विरोध करते हुए कहा कि रेलवे को बेचा जा रहा है, इसे बदार्शत नहीं किया जाएगा।
कर्मचारियों ने सीएम को ज्ञापन देने के लिए रैली की करी घोषणा
सरकार द्वारा किसान कानून रद्द करने के बाद अब नई पेंशन योजना को हटाने की मांग तेज हो गई है जिस पर आगे भी विवाद बढ़ने की संभावना है। इस पर कर्मचारी अपनी मांग को लेकर सीएम व मुख्य सचिव से वार्ता कराने की मांग कर रहे है। जिसके तहत रविवार दोपहर लगभग तीन बजे कर्मचारियों ने सीएम को ज्ञापन देने के लिए रैली निकलने की घोषणा कर दी। डीसीपी ख्याति गर्ग ने कर्मचारी नेताओं को दो दिन के अंदर मुख्य सचिव व सीएम से वार्ता का भरोसा दिलाया तब जाकर कर्मचारी शांत हुए।