कांग्रेस के बिगड़ते हालातो को देखते हुए और अब कांग्रेस पार्टी के अंदर ही बगावती सुर तेज हो गए है, कांग्रेस के विरोध मे जो स्वर कभी बाहर से उठते थे अब वो पार्टी के अंदर से उठ रहे है जिनमे अब पार्टी के बड़े और कद्दावर नेता का नाम भी शुमार हो गया है जो है गुलाम नबी आज़ाद।
ये वहीं गुलाम नबी आजाद है जिन्होने कुछ दिन पहले भी कांग्रेस पार्टी के दुबारा सत्ता मे आने पर खुद ही सवाल खड़े कर दिए थे। जिसके बाद अब वे सीधे सीधे कांग्रेस पार्टी की करता धरता सोनिया गांधी पर सवाल खड़े कर रहे हैं
वैसे तो इस समय गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर की ठंडी वादियों में लगातार रैली कर वहां की जनता को अपने पक्ष मे लाने का पूरा प्रयास कर रहे है। उनकी सभाओं में अच्छी खासी भीड़ भी जमा हो रही है।
शायद इसी भीड़ को देखकर गुलाम नबी आजाद कुछ ज्यादा ही व्याकुल हो उठे और अपनी ही पार्टी की पूर्व मुख्यमंत्री सोनिया गांधी पर जमकर प्रहार कर दिया। उन्होने सोनिया गांधी को पार्टी के वर्तमान हालातो का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अब कोई आलोचना नहीं सुनना चाहता है और बोलने पर दरकिनार कर दिया जाता है।
उन्होने जम्मू कश्मीर के रामबन में आयोजित अपनी एक जनसभा के दौरान कहा कि कोई भी नेतृत्व को चुनौती नहीं दे रहा है। जब चीजें सही नहीं थी तब शायद इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने मुझे बहुत अधिक स्वतंत्रता दी थी। वे आलोचनाओं का कभी बुरा नहीं मानते। वे इसे आक्रामक रूप में भी नहीं देखते लेकिन आज का नेतृत्व इसे आक्रामक रवैये के रूप में देखता है।
इसके साथ ही उन्होने पूर्व कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी की तारिफो के पुल बांधते हुए भी कहा कि एक बार इंदिरा गांधी ने दो लोगों को यूथ कांग्रेस के महासचिव के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी और उन्होंने इससे मना कर दिया था। इसपर इंदिरा गांधी ने उनकी हौसला अफजाई की थी। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जब राजीव गांधी राजनीति में आए तो इंदिरा गांधी ने हम दोनों को बुलाया और राजीव गांधी से कहा कि गुलाम नबी मुझे भी ना कह सकते हैं। लेकिन इनके ना का मतलब अवहेलना या अपमान नहीं है। बल्कि पार्टी की भलाई के लिए है। लेकिन आज कोई ना सुनने के लिए तैयार नहीं है, ना कहने पर पार्टी से दरकिनार कर दिया जाता है।
इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने को लेकर वैर हाल तो हामी नही भरी पर साथ ही उन्होन यह भी कह दिया कि राजनीति में कोई यह नहीं कह सकता है कि आगे क्या होगा, यह ठीक वैसे ही है जैसे कोई यह नहीं जानता है कि कब उसकी मौत होगी। राजनीति में कोई आगे की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है लेकिन मेरे पास पार्टी बनाने का कोई इरादा नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह राजनीति छोड़ना चाहते थे लेकिन लाखों समर्थकों के जुनून को देखते हुए उन्होंने इसे जारी रखने का फैसला किया।
गुलाम नबी की बातो से साफ जाहिर होता है कि वे अपनी ही पार्टी के कामकाज रवैया से संतुष्ट नही है और कहीं न कहीं वे भी इस बात का पूर्ण समर्थन करते है कि कांग्रेस मे परिवाद अभी भी जारी है जिसके चलते पार्टी मे किसी भी अन्य नेता की बातो पर ध्यान तक नही दिया जाता।