[SUSHIL MANAV ]
नये साल के पहले पखवारे में घटित दो नये घटनाक्रम ने राज्य और केंद्र की भाजपा सरकारों के चाल और चरित्र को नंगा करके रख दिया है। गुजरात की भाजपा सरकार ने किस तरह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए न्याय व्यवस्था का मजाक बनाया है इसे कल 8 जनवरी को आये बिल्किस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अहम टिप्पणियों से समझा जा सकता है। डेढ़ साल पहले गुजरात सरकार ने देश की आज़ादी का मजाक उड़ाते हुए 15 अगस्त 2022 को बिल्किस बानों गैंगेरप मामले के सज़ायाफ्ता बलात्कारियों को रिहा कर दिया था।
ध्यान दें कि यह वही साल था जब गाजे बाजे के साथ देश की आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा था। तब गुजरात सरकार के आदेश पर रिहाई के बाद इन बलात्कारियों का भाजपा आरएसएस के अनुषांगी संगठन विश्व हिन्दू परिषद द्वारा फूल माला और मिठाई से स्वागत किया गया था। गौरतलतब है कि इनमें से एक बलात्कारी शैलेष भट्ट भाजपा की जिला इकाई का पदाधिकारी रहा है। राज्य सरकार के इस अन्यायपूर्ण क़दम को क़ानून के शासन का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने उन अधिकारों का इस्तेमाल किया जो उनके पास था ही नहीं। उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइंया की खंडपीठ ने अपने फैसले में बिल्किस बानो के साथ गैंगरेप करने वाले 11 बलात्कारियों शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, जसवंत नाई, केशुभाई वदानिया, बकाभाई वदानिया, राजीव सोनी, रमेश चौहान, विपिन चंद्र जोशी, गोविंद भाई नाई, मितेश भट्ट और प्रदीप मोढ़िया को दो सप्ताह में जेल अधिकारियों के समक्ष सरेंडर करने को कहा है।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी माना है कि 13 मई 2022 का उसका फ़ैसला (जिसने गुजरात सरकार को दोषी को माफ़ करने का विचार करने निर्देश दिया था) अदालत के साथ धोखाधड़ी करके और भौतिक तथ्यों को छिपाकर प्राप्त किया गया था। बता दें कि 3 मार्च 2002 को अहमदाबाद के पास रंधिकपुर गांव में 21 वर्षीय बिल्किस बानो के परिवार पर हमला करके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी। तब बिल्किस पांच महीने की गर्भवती थी उनके साथ 11 लोगों ने गैंगरेप किया था।
इससे पहले खुद सुप्रीम कोर्ट ने ही 13 मई 2022 को गुजरात सरकार को अपनी 1992 की अपनी माफ़ी नीति के तहत एक दोषी को समयपूर्व रिहाई की उसकी याचिका पर विचार करने का निर्देष दिया था। इसके बाद 17 दिसंबर 2022 को खुद सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई के अपने फैसले के ख़िलाफ़ दायर बिल्किस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज़ करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के एक दोषी द्वारा दायर समय पूर्व रिहाई के आवेदन की जांच करने में सक्षम है। कल आये सुप्रीम कोर्ट के फैंसलें में भी एक खामी है।
कोर्ट ने अपने फैंसले में कहा है कि बिल्किस बानों मामले के दोषियों की सज़ा माफ़ करने का फैसला महाराष्ट्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। जैसा कि महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार है तो क्या आने वाले समय में जो अन्यायपूर्ण क़दम गुजरात सरकार ने उठाया है वो महाराष्ट्र सरकार दोहरा सकती है? ख़ैर यह तो समय ही बताएगा।
अब बात दूसरी घटना की
याद कीजिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का वो बयान जो 29 अक्टूबर 2021 को उन्होंने राजधानी लखनऊ में दिया था। तब अमित शाह ने कहा था 16 साल की बच्ची गहने लादकर स्कूटी पर रात को 12 बजे भी यूपी की सड़कों पर निकल सकती है। कोई डर नहीं। ये परिवर्तन केवल और केवल भाजपा सरकार ने किया है।
उनके इस दावे की पोल खुद उनकी पार्टी के आईटी सेल के तीन पदाधिकारियों ने खोलकर रख दिया है। जैसा कि बीएचयू कैम्पस में एक दो नवम्बर की दर्म्यानी रात एक छात्रा से गैंगरेप करने और उसे नग्न करके उसका वीडियो बनाने का मामला सामने आया है। जिसे खुद भाजपा आईटी सेल के पदाधिकारियों द्वारा अंजाम दिया गया है। लेकिन ये इतने बेशर्म हैं कि चुल्लू भर पानी तो क्या दरिया में भी डूबकर नहीं मरने वाले। इनकी खाल बहुत मोटी है ये तो पूरी बेशर्मी से कह देंगे कि वो एक चुनावी जुमला था। इनके लिए देश प्रदेश की अर्थनीति, क़ानून व्यवस्था सब का सब एक मजाक़ है, जुमला है। आखिर घटना के चौथे ही दिन सीसीटीवी फुटेज में भाजपाई बलात्कारियों के वीडियो मिलने और पीड़ित लड़की द्वारा उनकी शिनाख़्त कर लिए जाने के बावजूद उन्हें पकड़ने में यूपी पुलिस को दो महीने क्यों लग गये। और अब जबकि पता चल गया है तो बुलडोजर बाबा का बुलडोजर कहां है। कहां गया उनका बुलडोजर न्याय? आखिर भाजपाई बलात्कारियों का मामला आते ही बुलडोजर का तेल क्यों खत्म हो जाता है।
वैसे लोग-बाग तो यह भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने जो बेटी बचाओ ऩारा दिया था वो दरअसल नारा नहीं चेतावनी दिया था। उन्होंने चेताया था कि उनकी सरकार नें भाजपाई बलात्कारियों को फ्री-हैंड दे दिया है अब बचा सकते हो तो उनसे अपनी बेटियों को बचा लो। दरअसल लोग भूल गये थे कि बिल्किस बानो गैंगरेप केस नरेंद्र मोदी के शासनकाल में ही अंजाम दिया गया था। उसी गुजरात मॉडल को लेकर वो देश के प्रधानमंत्री बने हैं और अब वो गुजरात मॉडल पूरे देश पर लागू किया जा चुका है। या शायद लोगों को लगा था कि बिल्किस बानो तो मुसलमान की बेटी है और भाजपा के हिंदू बलात्कारी सिर्फ़ मुस्लिम महिलाओं से बलात्कार करेंगे, और हिंदू, दलित, बहुजन बेटियों को नवरात्रि में कन्या बनाकर पूजा करेंगे।
आखिर हमें राम मंदिर और हिंदुत्व देने के बदले वो कुछ तो हमसे वसूलेंगे ही ना। अब यह हमें तय करना है कि हमें हिंदुत्व और मंदिर किस क़ीमत पर चाहिए। जब हम एक ऐसे व्यक्ति को अपना नायक चुनते हैं जो महिलाओं के इज़्ज़त नहीं करता, जो विपक्षी दल की महिला नेता को जर्सी गाय कहता है। जो किसी नेता की जीवनसंगिनी को 50 लाख की गर्लफ्रैंड कहता है, जो विपक्षी महिला सांसद की हँसी की तुलना सदन में सूपर्णखा से करके उनकी हंसी उड़ाता है और हम सब उसकी इस खल-हँसी में शामिल होकर उसकी हरकतों पर सहमति का ठप्पा मारते हैं तो कहीं न कहीं हम सब बीएचयू जैसी घटनाओं के लिए खुद जिम्मेदार हैं। कतार में सब लगें हैं नंबर सबका आएगा।
[लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं । लेख उनके निजी विचार हैं ]