[ KABEER NEWS DESK ]
समाजवादी पार्टी के पारिवारिक मतभेद वाले विवाद पर आखिरकार अखिलेश यादव की तरफ से विराम लगा दिया गया क्योंकि जिस तरह से शिवपाल यादव के सामने से साथ आने के ऐलान के बाद भी अखिलेश की तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी। जिसे कहीं न कहीं इसी पारिवारिक मतभेद से जोड़कर देखा जा रहा था। पर अब सभी कयासों पर विराम लगाते हुए अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव की पार्टी प्रगति समाजवादी पार्टी से गंठबंधन कर लिया है। इसका ऐलान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट करके किया।
पर इसके साथ ही इस गठबंधन का एक सबसे बड़ा कारण जल्द यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। क्योंकि इन जल्द आने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए सपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी 2017 में बीजेपी से मिली हार का बदला लेने की कोशिश में जुटी है। इसी प्रयास में वह छोटी पार्टियों से गठबंधन कर रही है। जिसपर शिवपाल यादव की पार्टी प्रगति समाजवादी पार्टी से गंठबंधन एक बड़ा कदम साबित हो सकता हैं।
अखिलेश यादव ने आज शिवपाल से उनके घर जाकर मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली। मुलाकात के बाद अखिलेश ने शिवपाल के साथ फोटो ट्वीट की और लिखा, ‘प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।’
आपको जानकर हैरानी होगी कि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव पूरे 4 साल बाद फिर से एक बार साथ आए हैं और इसकी वजह बनी है बीजेपी। दरअसल, जिस तरह से बीजेपी ने 2017 के चुनाव में प्रदर्शन किया और 2022 चुनाव से पहले भी राज्य में उसका जो माहौल दिख रहा है, उससे अखिलेश को शिवपाल के साथ जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। अखिलेश नहीं चाहते जो गलती 2017 में हुई उसे दोहराया जाए।
बता दें कि शिवपाल यादव अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं। शिवपाल 2012 से 2017 की अखिलेश सरकार में लोक निर्माण विभाग और सिंचाई मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। लेकिन 2017 में जब अखिलेश ने मुलायम सिंह यादव की जगह पार्टी की बागडोर संभाली तब शिवपाल ने नाराज़गी जताते हुए सपा से नाता तोड़ लिया और 2018 में अपनी खुद की पार्टी प्रसाद बना ली।
जिसके बाद 2017 में सपा की करारी हार हुई थी। 2012 में 224 सीटों पर कब्जा करने वाली सपा उस 2017 के चुनाव में सिर्फ 47 सीट जीत पाई थी। सपा की हार की वजह परिवार का झगड़ा भी रहा था। शिवपाल ने हमेशा खुद को मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया। उन्होंने ये दावा किया था उन्होंने मुलायम सिंह यादव के साथ इस पार्टी को खड़ा किया है। वह हमेशा पार्टी में अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते थे। 2012 में अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के दौरान पार्टी में उनकी भी एक शक्तिशाली भूमिका थी।
पर अगर इस चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में शिवपाल यादव की भूमिका पार्टी की जीत या हार पर कितना असर डालती है, देखना दिलचस्प होगा।