भाजपा के 11 विधायकों और मंत्रियों ने छोड़ी पार्टी, तो 11 हुए शामिल……………………..

उत्तर प्रदेश राज्य
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[ KABEER NEWS DESK ]

वैसे तो यूपी की सियासत हर वक्त ही गरमाई रहती है फिर चाहे वो किसी नेता की वजह से हो या नेता की पार्टी की वजह से। पर इस बार यूपी का पारा केवल गरमाया ही नहीं है बल्कि भट्टी की तरह तप रहा है जिसका कारण है यूपी मे आचार संहिता लगने के बाद पार्टियों के बीच उठा भूचाल जिसके चलते नेताओं की एक पार्टी से दूसरी पार्टी मे उछल कूद जारी हो गई है जिसके चलते अब अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि यूपी की सत्ता का अगला बादशाह कौन होगा ?

पर वैराल विधानसभा चुनाव में माहौल बनाने के लिए राजनीतिक दलों के बीच विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को तोड़ने के खेल में शुरुआती दौर में बढ़त बनाने वाली  भाजपा अब 11-11 से बराबरी पर आ गई। भाजपा ने बीते तीन महीने में सपा, बसपा और कांग्रेस के 11 एमएलसी और विधायकों को भाजपा में शामिल कराया है। वहीं भाजपा के 11 विधायकों और मंत्रियों ने पार्टी छोड़ी है। इनमें से चार विधायक सपा और एक विधायक रालोद में शामिल हो चुके है।

आपको बता दे कि जहां भाजपा ने सपा के विधान परिषद सदस्य नरेंद्र सिंह भाटी,  शतरुद्र प्रकाश, सुभाष पासी, रमा निरंजन,  रविशंकर सिंह पप्पू और सीपी चंद्र को भाजपा में शामिल कराया है। बुधवार को फिरोजाबाद से सिरसागंज से सपा विधायक हरिओम यादव ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। बसपा विधायक वंदना सिंह भी भाजपा में शामिल हो चुकी है। कांग्रेस के सात विधायकों में से रायबरेली से अदिति सिंह, हरचंदपुर रायबरेली से राकेश प्रताप सिंह और बेहट सहारनपुर से नरेश सैनी भी भाजपा में शामिल हो गए है।

वहीं दूसरी तरफ भाजपा छोड़कर सपा में शामिल होने वाले विधायकों की बात करे तो उनमे सीतापुर सदर से राकेश राठौर , खलिलाबाद संतकबीर नगर से जय चौबे , नानपारा बहराइच से माधुरी वर्मा और बुलंदशहर से के.के. शर्मा के नाम शामिल है। जबकि पडरौना कुशीनगर से विधायक एवं प्रदेश सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य , मऊ के मधुबन से विधायक एवं मंत्री दारा सिंह चौहान , बांदा के तिंदवारी से भाजपा विधायक ब्रजेश प्रजापति , कानपुर देहात के बिल्लौर से भगवती प्रसाद सागर , शाहजहांपुर की तिलहर से रोशन लाल वर्मा ,  औरेया की बिधूना से विनय शाक्य भाजपा छोड़ चुके है। साथ ही मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से भाजपा विधायक अवतार सिंह भडाना भी भाजपा छोड़कर रालोद में शामिल हो गए है।

अब कहीं न कहीं इस प्रकार से आचार संहिता लगते ही नेताओं के बीच पार्टियो की अदल बदल का जो खेल शुरु हुआ है यह किस नेता को कितना फायदा पहुंचाएगा

या फिर अगले चुनाव मे वे फिर किसी अन्य पार्टी मे नजर आएगें, ये तो समय ही बताएगा ?

 

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