कृषि कानूनो के विरोध मे शुरु किए गए किसान आंदोलन मे हुए हाइ-प्रोफाइल तिकुनिया हिंसा कांड की जांच जैस जैसे आगे बढ़ती जा रही है इसके नए नए पहलु सामने आते चले आ रहे है अब इस विवादित मामले को लेकर कुछ ऐसा खुलासा हुआ है जो इन तीन महीने मे इस मामले अब तक का हुआ सबसे बड़ा फेरबदल है। जिसको लेकर जांच टीम ने इस मामले में नई धाराएं बढ़ाते हुए मामले को दुर्घटना का नहीं बल्कि सोची समझी हत्या की साजिश बताया है।
आपको बता दे कि ये पूरा मामला किसान आंदोलन से जुड़ा है जब तीन कृषि कानूनो के विरोध मे किसानो ने धरना प्रदर्शन किया था उसी के बीच भाजपा नेता अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र ने वहां धरना प्रदर्शन कर रहे किसानो के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी थी। जिसको लेकर किसानो के द्वारा आशीष मिश्र की गिरफ्तारी की मांग के चलते उसकी गिरफ्तारी हो गई जिसपर जांच पड़ताल लगातार जारी है। पर अब तक एसआईटी इस मामले की जांच एक्सीडेंटल केस के साथ ही विकल्प के रूप में हत्या की धाराओं के साथ कर रही थी, पर सोमवार को इस जांच के बीच एसआईटी से जुडे़ मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने इस मामले से जुड़े एक नए मोड़ का खुलासा किया।
उन्होने बताया कि बारीकी से इस मामले की जांच करने पर यह स्पष्ट हुआ है कि ये लापरवाही और उपेक्षापूर्वक गाड़ी चलाते हुए दुघर्टना के चलते मृत्यु का मामला नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने,हत्या करने और हत्या के प्रयत्न के साथ ही अंग भंग करने की साजिश का मामला है। इसलिए इस केस मे परिवर्तन करते हुए इसमे अब हत्या और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग भंग करने की धाराएं लगाई जानी चाहिए।
साथ ही विवेचक ने अपनी रिपोर्ट देते हुए ये भी बताया कि अब कानून मे एक्सीडेंटल केस से जुड़ी धाराओं को हटाया जा रहा है, इसलिए जेल में बंद आरोपियों पर से धारा 279, 337, 338, 304 ए की धाराएं हटाई जा रही हैं और एकराय होकर जानलेवा हमला करने और अंग भंग करने की धाराएं बढ़ाई जाती हैं, जिनमें 120बी, 307, 34, 326 आईपीसी की धाराएं बढ़ाई गई हैं।
अब कानून मे इस तरह का फेरबदल कितना सही साबित होगा ये तो समय ही बताएगा या आगे औऱ भी बदलाव देखने को मिलेगें।