यूपी टीईटी 2021 के पेपर मे सरकार की लापरवाही से छात्रो को जिस तरह की दिक्कत का समाना करना पड़ा ये यूपी की पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है और योगी सरकार के पूरी एहतियातन के साथ पेपर कराने के सारे दावे झूठे साबित करता है । जिसपर विरोध जताते हुए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखऱ के बयानबाजी करने के बाद अब पीलीभीत से भाजपा के खुद की पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती सुर दिखाए हैं। लगातार किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर रहे वरुण ने इस बार नौकरी और पेपर लीक मामले को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है और पूछा है कि आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?
वरुण गांधी ने देश के नौजवानो का साथ देते हुए और उनके भविष्य को लेकर सरकार पर सवाल खड़े करते हुए ट्वीट किया कि पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतजार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?
साथ ही उन्होने कहा कि UPTET परीक्षा का पेपर लीक होना लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है। इस दलदल की छोटी मछलियों पर कार्यवाही से काम नहीं चलेगा, उनके राजनैतिक संरक्षक शिक्षा माफियाओं पर कठोर कार्यवाही करे सरकार। क्योंकि अधिकांश शिक्षण संस्थानों के मालिक राजनैतिक रसूख दार हैं, इनपर कार्यवाही कब होगी?
आपको बता दे कि यह कोई पहली बार नही है जब वरूणगांघी ने किसी मामले के विरोध मे अपनी ही पार्टी पर हमला बोला हो इससे पहले भी वरुण गांधी ने लखीमपुर हिंसा को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा पर एक्शन की मांग की थी। जिसपर वरुण ने कहा था कि, वरिष्ठ पदों पर बैठे कई नेताओं ने आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया है। इस तरह के बयानों और आंदोलन के इर्दगिर्द बने प्रतिकूल माहौल का ही नतीजा है कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में पांच किसानों को वाहनों ने कुचल कर मार डाला। यह दिल दहला देने वाली घटना थी। इस घटना से जुड़े के केंद्रीय मंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
साथ ही कानून रद्द होने के बाद वरुण गांधी ने कहा था कि वह कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हैं। एमएसपी और अन्य मुद्दों पर कानून की मांग पर भी तत्काल निर्णय लिए जाए, ताकि किसान आंदोलन समाप्त करके घर लौट सकें।
वरुण गांधी के इस प्रकार से बीजेपी मे रहकर बीजेपी को घेरने से कई तरह के कयास लगाए जा रहे है, जिसपर कहीं न कहीं बीजेपी के प्रति वरुण का विरोधाभास नजर आ रहा है, जिसका फायदा विपक्ष को होता दिख रहा है।