[ KABEER NEWS DESK ]
समाज मे प्रकृति और समाज के प्रति जनता की बढ़ती लापरवाही को देखते हुए अब की तर्ज पर यूपी की योगी सरकार ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। अब उत्तरप्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में प्रायोगिक परियोजना के तौर पर ‘प्रसन्नता पाठ्यक्रम’ यानि कि हैप्पीनेस करिकुलम लागू करने की तैयारी चल रही है। इसका मकसद विद्यार्थियों में प्रकृति, समाज और देश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना है।
आपको बता दे कि राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित इस ‘प्रसन्नता पाठ्यक्रम’ की 6 दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लेने पहुंचे राज्य प्रभारी डॉ. सौरभ मालवीय।
डॉ. सौरभ मालवीयने जनता का संबोधन करते हुए उन्हे बताया कि इस पाठ्यक्रम के जरिए विद्यार्थियों को स्वयं, परिवार, समाज, प्रकृति और देश के बीच अंतर्संबंधों को समझने में मदद मिलेगी। इस पाठ्यक्रम को उत्तर प्रदेश की भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विकसित किया जा रहा है। पहली से 8वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्रतिदिन इस पाठ्यक्रम का अभ्यास कराया जाएगा। साथ ही बच्चों को ध्यान भी सिखाया जाएगा।
साथ ही उन्होने बताया कि इस परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के 10-10 स्कूलों यानी 150 स्कूलों को इस पाठ्यक्रम पर काम करने के लिए कहा गया है। इसमें पहली से 5वीं तक के बच्चों के लिए पांच पुस्तकें तैयार की जाएंगी। इसी क्रम में अपने क्षेत्र में पहचाने गए 32 अध्यापकों की कार्यशाला आयोजित कर पाठ्यक्रम की विषय वस्तु तैयार की जा रही है।
कार्यशाला में प्रशिक्षण देने आए श्रवण शुक्ल ने भी बच्चो को इस पाठ्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि अगले वर्ष अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र से इस पाठ्यक्रम को लागू करने की तैयारी है। बाद में चरणबद्ध तरीके से इसे अन्य स्कूलों में लागू किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए अगस्त से ही व्याख्यानों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया और इस टीम ने उनके साथ संवाद किया, अभी तक आठ व्याख्यानों का आयोजन हो चुका है।
उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 1,30,000 है, जहां सात लाख शिक्षक कार्यरत हैं। राज्य सरकार बाद में इसे सभी स्कूलों में लागू करने पर विचार कर सकती है।