फर्जी अंकपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने के मामले मे फंसे लोगो की दिवाली बहार करते हुए इन्हे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बहुत बड़ा तोहफा प्रदान किया गया है जिससे उनकी बेरंग दीवाली रंगीन हो जाए। यह मामला आगरा विश्वविद्यालय से जुड़ा है, जहां फर्जी अंकपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने के मामले मे फंसे लोगो को लेकर हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी किया है जिसके तहत अब आगरा विश्वविद्यालय से सत्र 2004-05 में बीएड करने वाले उन शिक्षकों को वेतन भुगतान का आदेश दे दिया गया है जिन्होंने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले में एसआईटी जांच के आधार पर हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच ने इन शिक्षकों को सेवा से बाहर कर दिया था।
1 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को करंट सैलरी देने का किया आदेश
साथ ही आपको बता दे कि 1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने राजेश चतुर्वेदी एवं अन्य की याचिका पर हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए 600 से अधिक याची शिक्षकों को करंट सैलरी देने का आदेश दिया था। जिसे सरकार द्वारा नहीं मानने पर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर कर दी। जिसकी सुनवाई के दौरान 1 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को करंट सैलरी देने का आदेश किया।
बेसिक शिक्षा परिषद ने 25 अक्तूबर को सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को लिखा पत्र
इस मामले पर सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्वीकार किया था कि सरकार 15 दिन में याचिकाकर्ताओं को सैलरी देगी। इस पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल ने 25 अक्तूबर को सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर याची शिक्षकों को जुलाई से वेतन भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगा। गौरतलब है कि फर्जी अंकपत्र मामले में प्रदेशभर के 3365 परिषदीय शिक्षक फंसे हैं।