दलित परिवार के नरसंहार को आत्महत्या बनाने मे जुटी थी पुलिस : प्रयागराज

उत्तर प्रदेश राज्य
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[ KABEER NEWS DESK ]

क्या आप हाथरस भूल गए हैं मुझे  मालूम है नहीं भूलेंगे होंगे  क्योंकि  शायद सत्ता का संरक्षण प्राप्त  एक विशेष जाति  के लोग एक विशेष समुदाय पर बार बार वार कर के एक नए अत्याचार की कहानी लिख देते हैं। जिससे आप पुरनी भूल ही नहीं पाते हैं।
दमन ,अत्याचार ,शोषण ,सामाजिक वर्चस्व और गिरवी रखे न्याय की एक और घटना आज बताने जा रहा हूँ। मैं बताने जा रहा हूँ एक दलित परिवार का  नरसंहार किस तरह दबंग ठाकुरो के द्वारा किया  जाता है और  किस तरह विशेष मानसिकता से ग्रसित पुलिस वाले  अपनी पूरी कोशिश कर  के अपराधियों को बचने की कोशिश करते हैं। उन अपराधियों को जिन्होंने 17  वर्ष की लड़की के साथ पहले रेप किया फिर मार दिया। उन अपराधियों को जिन्हे  10  वर्ष के बच्चे पर भी दया नहीं आई थी।

प्राागराज के फाफामऊ इलाके के गोहारि गांव में उस समय अफरा तफरी  मच गई जब पता चला कि गांव में रहने वाले पांसी बिरादरी के एक परिवार के चार  सदस्यों को दबंगो ने बेरहमी से मार डाला है और फरार हो गए हैं। इस घटना में 50 वर्षीय फूल चंद्र ,45  वर्षीय मीनू 17 वर्षीय बेटी और 10 बेटे की हत्या कर दी जाती है। सभी की लाशें घर के अंदर खून से लथपथ मिलीं। सभी के शरीर पर धारदार हथियार के निशान थे। महिलाएं नग्न हालत में थी, जिसके चलते गैंगरेप की आशंका जाहिर की जा रही थी ।
पुलिस की निष्क्रियिता का हाल देखिये घटना के 24 घंटे के बाद भी शव घर में ही पड़े रहते हैं।  ग्रामीण और अन्य परिवार जन सक्रिय होते हैं और  पुलिस को खबर करते हैं। यह से शुरू होता है पुलिस का असंवेदनशील खेल। पुलिस घटना को आत्महत्या का रूप देने की भरसक प्रयास करती है। शायद पुलिस की आत्मा मर गई थी। । क्योंकि  प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मौके पर जो हालात थे, आशंका है कि हत्यारों ने पहले बरामदे में सो रहे दंपति और उनके बेटे को मारा। फिर कमरे में सो रही किशोरी के साथ दरिंदगी की और बाद में उसका भी कत्ल कर दिया। कपड़े भी अस्त-व्यस्त थे। चारपाई के नीचे बेटे का शव जमीन पर पड़ा था। वहीं बरामदे से सटा कमरा है। इसमें बेटी का शव चारपाई पर निर्वस्त्र पड़ा था। मां-बेटी का शव निर्वस्त्र पाया गया था। इस आशंका  की पुष्टि तीन डाक्टरों की पोस्टमार्टम पैनल की रपोर्ट ने कर दी।  पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि हत्या से पहले किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। दुष्कर्म के बाद उसका गला घोट कर मार दिया गया। किशोरी के सिर पर भी किसी वजनी चीज से प्रहार किया गया है। किशोरी के 10 साल के भाई को भी गला घोट कर मारा गया है। छोटे भाई के हाथ-पैर में पड़े घसीटे जाने के निशान से पता चलता है कि उसने अपनी बहन को बलात्कार से बचाने के लिए भरसक संघर्ष भी किया था।

क्या कहना है मृतक के परिवार का –

पुलिस इस परिवार के साथ इस तरह का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पहली बार नहीं कर रही थी। अगर पुलिस इससे पहले जब फू चंद्र ने पुलिस को अपने उपर पूर्व में हुए हमले से अवगत कराया था तभी चेत जाती तो दबंगो  के हौसले इतने बुलंद  नहीं होते।

मृतक फूलचंद्र के भाई  लालचंद कहते हैं, “हमारे भाई फूलचंद ने साल 2019 और 2021 में गांव के कई दबंगों के खिलाफ दलित एक्ट में मामला दर्ज कराया था, लेकिन उसमें कार्रवाई नहीं की गई। हमारी तरफ से दो मुकदमे दर्ज होने के बावजूद थाना पुलिस ने दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे उनका दुस्साहस बढ़ता चला गया। हमारी शिकायतों को गंभीरता से लिया होता तो शायद इतनी जघन्य वारदात नहीं होती।”

परिवार जनो के मुताबिक बात यही नहीं रूकती है पुलिस दबंगो की शह पर पीड़ित परिवार के खिलाफ ही छेड़खानी का मुकदमा लिखती है। ताकि दलित परिवार को दबंगों से समझौते के लिए बाध्य किया जाए।

जानिए पुलिस का एक्शन –
इस मामले में फाफामऊ के इंस्पेक्टर फाफामऊ राम केवट पटेल और दो अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। फाफामऊ थाना पुलिस ने सवर्ण जाति के 11 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने के साथ ही आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिसमें से आरोपी बबली पत्नी अमित सिंह, आकाश, रवि और मनीष को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। अमित सिंह, अभय सिंह, राजा, रंचू, कुलदीप, कान्हा ठाकुर और अशोक सिंह में से भी चार को शुक्रवार देर रात को गिरफ्तार किया गया है।

अभियुक्तों में दो की लोकेशन मुंबई में होने का दावा पुलिस ने किया है। शक के आधार पर भी दो लोगों को पुलिस ने उठाया है। एसटीएफ और पुलिस टीमें दुश्मनी वाले एंगल के साथ अन्य बिंदुओं पर भी काम कर रही हैं। हिरासत में लिए गए लोगों के मोबाइल की लोकेशन सर्च करने की कोशिश हो रही है कि वारदात के आसपास और उसके बाद उनके मोबाइल की लोकेशन क्या थी?

दलित समुदाय के एक ही परिवार के चार लोगों के कत्ल की घटना के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। शुक्रवार की शाम प्रियंका गांधी मौके पर पहुंची और पीड़ित परिवारों को ढांढस बंधाया। उन्होंने योगी सरकार को आड़े-हाथ लिया और कहा, ” योगी सरकार में कानून व्यवस्था ध्वस्त है। यूपी में दलितों का दमन बढ़ गया है। जातीय उत्पीड़न चरम पर है। संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर प्रयागराज में नरसंहार की घटना ने यह साबित कर दिया है कि यह राज्य अब दलित समुदाय के लिए कत्लागाह में तब्दील हो गया है।”
बसपा सुप्रीमो मायावती लिखती है कि यूपी के प्रयागराज में अभी हाल ही में दबंगों द्वारा एक दलित परिवार के चार लोगों की निर्मम की गई हत्या अति-दुःखद व शर्मनाक। यह घटना भी सरकार की लचर कानून-व्यवस्था को दर्शाती है। ऐसा लगता है कि इस मामलें में भाजपा भी अब सपा सरकार के ही नक्शेकदम पर चल रही है.

अखिलेश यादव लिखते हैं कि इलाहाबाद के फाफामऊ में दबंगों के द्वारा 4 दलितों की हत्या दलित विरोधी भाजपा सरकार पर एक और बदनुमा दाग़ है।

घोर निंदनीय!

उम्मीद है ये अपराधी बिना चश्मे के भी दिख जाएँगे…

मामले को तूल पकड़ता देख और विपक्ष के इसे बड़ा मुद्दा बना लेने के बाद सरकार हरकत में आयी और आनन-फानन में पीड़ित परिवार को 16.50 लाख रुपये का मुआवजा देने का एलान किया। मृतक फूलचंद्र के भाई को शस्त्र लाइसेंस, सुरक्षा, जमीन का पट्टा देने के साथ ही मुख्यमंत्री राहत कोष से भी सहायता दिलाने का प्रस्ताव है।

भाजपा के इस राम राज्य में दलितों पर अत्याचार  इस कदर बढ़ें हैं कि दलित उत्पीड़न में यूपी, देश में अव्वल होता जा रहा है।  शाषक उत्कृष्ट पुलिस व्यवस्था की ताल थोक रहे हैं और चाटुकार नेता उनकी दी हुई मलाई चाट रहे हैं। लेकिन इस मिली भगत ने दलितों का जीना दूभर कर रखा है।

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