वर्नू गांव के दलित निवासियों की शिकायत पर मंदिर पहुंचे मेवाणी
आपको बता दें कि वर्नू गांव के दलित निवासियों की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच, जिसके राष्ट्रीय संयोजक जिग्नेश मेवाणी हैं, अपनी टीम के साथ मंदिर पहुंचे। जहां मेवाणी ने उनकी उपस्थिति में मंदिर के अंदर दलित समुदाय के लोगों के प्रवेश को सुनिश्चित किया। जिस पर मेवाणी ने आईएएनएस से कहा कि, “मंदिर में दो परिसर हैं और दलितों को केवल प्राथमिक भाग में जाने की अनुमति है और आंतरिक गर्भगृह केवल उच्च जाति के लोगों के लिए आरक्षित है।”
दलितों के साथ छुआछूत की प्रथा के खिलाफ “आंदोलन” का किया आह्वान
प्रवेश के बाद मेवाणी ने वर्नू गांव में रहने वाले अन्य समुदायों के लोगों के साथ बैठक की। मेवाणी ने उनसे कहा, “हम यहां अपनी ताकत दिखाने के लिए नहीं हैं कि हम मंदिर में प्रवेश कर सकें, लेकिन हम यहां आपके साथ हाथ जोड़कर आगे बढ़ने के लिए हैं। आइए एक-दूसरे को अपना समझें और अपने साथी ग्रामीणों के लिए भाईचारे की भावना रखें।” साथ ही मेवाणी ने शनिवार को गुजरात में दलितों के खिलाफ अत्याचार और छुआछूत की प्रथा के खिलाफ “आंदोलन” का आह्वान भी किया था।
दलित पर हमला या उसकी हत्या के बाद पहुंचती है पुलिस
दलितों पर लगातार हो रहे हमलों पर पुलिसीय कार्रवाई पर भी सवाल खड़े करते हुए मेवाणी ने कहा कि, “जब तक किसी दलित पर हमला या उसकी हत्या नहीं होती, तब तक पुलिस कार्रवाई नहीं करती है। और भाजपा देशभर में मंदिरों के नाम पर केवल राजनीति करती है।
समाज में अस्पृश्यता नहीं खत्म करना चाहती बीजेपी
साथ ही मेवाणी ने बीजेपी की नियत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि “अस्पृश्यता हमारे समाज पर एक धब्बा है और हम एक समाज के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में इससे शर्मिंदा नहीं हैं। मैंने भाजपा को तीन बार सदन में चुनौती दी है कि अठारह हजार से अधिक गांवों में से एक गांव को लेकर उसे अस्पृश्यता मुक्त बनाया जाए, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया है। वे चाहते हैं कि यह जारी रहे। ”
दलित समुदाय की लगभग 3,000 बीघा भूमि पर स्वर्णों का कब्जा
मेवाणी ने बताया कि अकेले कच्छ जिले में, रापर और भचाऊ तालुकाओं में, अनुसूचित जातियों और दलित समुदाय की लगभग 3,000 बीघा भूमि पर स्वर्णों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। जिस पर कदम उठाते हुए हम पहले ही गुजरात में 10,000 एकड़ दलित भूमि की पहचान कर चुके हैं, जिस पर कब्जा कर लिया गया है। आने वाले दिनों में हम इस तरह की कई शिकायतों के लिए आवाज उठाने के साथ-साथ नेर और वर्नु गांवों की तरह ही हमें मुक्त करने के लिए आंदोलन जारी रखेंगे।”