तीन कृषि कानून जिन्हे सत्ता मे बैठी मोदी सरकार बड़े जोरो शोरो से लेकर आई थी, उन्हे तो किसानो ने ही नकार दिया जिसके बाद आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और तीनो कृषि कानून रद्द कर दिए गए।
सरकार को लगा चला अब किसान खुश हो गए, किसानो का वोट पक्का। पर सरकार के सारे सपने टूट गए
क्योंकि किसान नेता राकेश टिकैत अभी भी अपनी कई मांगो के साथ अपने इरादो और अपनी जगहो से टस से मस होने को तैयार नही है और सरकार के सामने अपनी मांगो का एक और ठिकरा खोल कर रख दिया है।
भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत किसी भी हाल मे सरकार के सामने झुकने को तैयार नहीं है और कृषि कानूनो को लेकर मिली जीत के बाद अब उनके हौसले और भी बुलंद हो गए हैं और वे 5 सितंबर से मुजफ्फरनगर से शुरू किए गए अपने मिशन यूपी के तहत किसानो की सुविधाओं से जुड़े और भी मुद्दे उठा रहे है जिसको लेकर उनका कहना है कि प्रदेश में किसानों से जुड़े कई मुद्दे लंबित हैं जिनमे महंगी बिजली सबसे बड़ी समस्या बन गई है।
उन्होने कहा कि यूपी के किसानों को महंगी बिजली मिल रही है। गन्ने का भुगतान नहीं हुआ है। आचार संहिता लगने के बाद इस मसले पर अगला कदम उठाएंगे। साथ ही उन्होने बैंकों के निजीकरण बिल पर भी देश को एकजुट करने की बात कही।
उन्होने ट्वीट कर कहा कि किसान आंदोलन जब शुरू हुआ, तभी आगाह किया गया था कि अगला नंबर बैंकों का है। सोमवार को संसद में सरकारी बैंकों के निजीकरण का बिल पेश होने जा रहा है। निजीकरण रोकने के लिए देश में साझा आंदोलन किए जाने की जरूरत है।
राकेश टिकैत द्वारा किसानो से जुड़ी इन सब मांगो के बाद अब भाकियू नेता धर्मेंद्र मलिक ने भी अपनी एक मांग रखते हुए शहीद किसानो के किसान स्मारक बनाने के लिए जगह मांगी है वो भी सिंधु बार्डर पर। उन्होने कहा कि किसान आंदोलन में 708 किसान शहीद हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसकी सूची तैयार की है। आंदोलन का केंद्र सिंघु बॉर्डर रहा है, इस वजह से यहीं पर किसान स्मारक बनाने के लिए जगह चाहिए।
किसानो की इन मांगो के बाद अब यूपी सरकार और भी सोच मे पड़ गई है
क्योंकि कहीं न कहीं कृषि कानूनो की रद्दता के बाद अब जहां किसानो की मांगे बढ़ रही है तो सरकार द्वारा शुरु की गई और भी कई नई योजनाओं को रद्द करने की मांग तेज हो गई है
अब किसानो की इन मांगो को लेकर सरकार क्या कदम उठाती है ये तो समय ही बताएगा ।