[ KABEER NEWS DESK ]
योगी के उत्तरप्रदेश मे अपराधियों पर सख्ती बरतने के बाद अब यूपी के वकीलो पर भी इलाहबाद हाईकोर्ट को सख्ती बरतनी पड़ रही है जिसको लेकर कोर्ट द्वारा सत्ता मे बैठी योगी सरकार को भी फटकार लगाई है।
चुनाव के बीच योगी के वकीलो का अपराधिक गतिविधियों मे लिप्त होना सीएम योगी के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है क्योंकि अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आपराधिक गतिविधियों में लिप्त यूपी के वकीलों पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए उत्तरप्रदेश बार काउंसिल से पूछा है कि पिछले पांच साल में कितने वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की गई ? और ऐसे वकील किन जिलों के हैं ?
और यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने पीयूष श्रीवास्तव की याचिका पर दिया। याची पीयूष श्रीवास्तव ने लखनऊ की जिला अदालत परिसर में कुछ वकीलों की आपराधिक गतिविधियों का जिक्र कर पुलिस के लचर रुख का मुद्दा उठाया था।
आपको बता दे कि कोर्ट ने इससे पहले भी इस मामले को लेकर लखनऊ के पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया था कि वह स्थानीय वकीलों के खिलाफ दर्ज केसों का ब्योरा, उनकी तफ्तीश व ट्रायल की स्थिति के साथ निजी हलफनामे पेश करें। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को यह छूट भी दी थी कि वह उन केसों को दोबारा देखें जिनमें फाइनल रिपोर्ट लग गई है। अगर यह पाया जाए कि उनकी तफ्तीश में कमी रह गई हो या फिर आरोपियों के डर से सभी गवाह सामने न आए हों, तो उनमें अग्रिम विवेचना का आदेश दें।
साथ ही कोर्ट को बताया गया कि 2017 में तत्कालीन सीजेएम संध्या श्रीवास्तव द्वारा अभद्रता के मामले में हाईकोर्ट को भेजे गए केस में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है। कोर्ट ने कहा यह काफी गंभीर मामला लगता है। जिसको लेकर अदालत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखें। साथ ही उन सभी अवमानना कानूनों के तहत भेजे गए संदर्भों को भी पेश करने का निर्देश दिया, जिन्हें कार्रवाई के लिए कोर्ट के समक्ष नहीं रखा गया।
और ये कोई पहला मामला नही है जिस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई हो इस पहले भी बहुत से मुद्दो पर कार्रवाई को लेकर कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार को फटकार लगाई है
पर न ही इस फटकार का यूपी की सरकार पर कोई असर होता है, न ही यूपी के प्रशासन पर अब कोर्ट की इस फटकार के बाद भी कोई कार्रवाई होती है या नही, कह नही सकते?