उत्तरप्रदेश मे लड़कियों के लंबे वक्त से लगातार गायब होने को लेकर यूपी का पुलिस प्रशासन बहुत ज्यादा चिंतित हो गया है जिसके चलते अब इस आरटीआई ने एक दावा पेश किया है जिस दावे के मुताबिक उत्तर प्रदेश से हर रोज तीन बेटियां लापता हो रही हैं। जिसपर आंकड़े की बात करे तो आरटीआई ने बताया कि 50 जिलों से मिले आरटीआई के जवाब में उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया कि पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश से कुल 1,763 बच्चे लापता हुए। जिसमें 1,166 लड़कियां हैं। 1,080 लड़कियां 12-18 वर्ष की आयु की हैं। कुल लापता लड़कियों में से 966 लड़कियों को बरामद कर लिया गया है जिनमे दो सौ लड़कियां आज भी लापता हैं।
लापता बच्चों पर चिंता जताते हुए आगरा के आरटीआई एवं चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर बच्चे कहां जा रहे हैं। हर रोज पांच बच्चों का लापता होना चिंता का विषय है। लापता बच्चा चार माह तक बरामद न होने पर विवेचना मानव तस्करी निरोधक शाखा में स्थानांतरित करने का प्रावधान है। उसके बावजूद भी लापता बच्चों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। लड़कियों की संख्या और अधिक चिंतित करती है। 12-18 वर्ष की लड़कियां ज्यादा गायब हो रहीं हैं। या तो लड़कियां प्रेमजाल में फंस रही हैं या फिर उनको देह व्यापार में धकेला जा रहा है।
साथ ही नरेश पारस ने इस समस्या के चलते पुलिस को पूर्ण रूप से सर्तक रहते हुए इस पूरे मामले कि जांच करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द इस समस्या का हल निकालते हुए इन लड़कियों को बचाया जा सके। साथ ही उन्होने कहा कि हर जिले में पुलिस मुख्यालय पर लापता बच्चों की जन सुनवाई कराई जाए। जिसमें थाने के विवेचक और परिजनों को बुलाकर केस की समीक्षा की जाए। चार महीने तक बच्चा न मिलने पर मानव तस्करी निरोधक थाने से विवेचना कराई जाए। यह थाने हर जनपद में खोले गए हैं।